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भारत वर्ष  स्वामी विवेकानंद की १५० वी जयंती मना रहे है। स्वामीजी की प्रसगिकता १५० वर्ष बाद भी रहेगी । उनके आदर्शों और आज के युवा को एक - दुसरे का विरोधी माना जाता है , लेकिन ऐसा नहीं है । स्वामीजी ने जीवन का ध्येय निश्चित करने के बाद कभी पलट कर नहीं देखा ।

जीवन मूल्य बचाने से ही बचेगा देश
* देश की स्थिति तब ही बदलेगी जब युवा खुद से सवाल करेगा की मैं इसे बदलने के लिए क्या कर ससकता हु ?
*  म जोड़ने का काम करता है । हमने इसे संकुचित कर दिया ।
* आज युवा में आत्मविश्वास नहीं है ? वह केल्कुलेटिव हो गया है ।
* जब तक हम दिल से काम नहीं करेंगे, कार्य भव्य नहीं हो सकता ।
* देश को बचाना है तो जीवन मूल्यों को बचाना होंगा ।

युवाओं का ध्येय राष्ट्र उत्थान होना चाहिए
निवेदिता दीदी ने युवा की परिभाषा देते हुए कहा की जो भविष्य देखता है, भविष्य के लिए खुद को झोंक सकता है वाही युवा है । आज का युवा कन्फ्यूज है । नैतिकता का स्तर  लगातार निचे गीर है ।

सिर्फ प्रश्न पूछता है आज का युवा
दीदी ने कहा की आज का युवा सिर्फ  प्रशन पूछता है । स्वामीजी भी खुद से प्रश्न  करते थे। लेकिन हमारा युवा जवाब खोजने का प्रयास नहीं करता । स्वामीजी ने प्रश्न का उत्तर मिलेन तक पीछा नहीं छोड़ा । यह दुख की बात है की विश्व को पहला विश्वविद्यालय देने वाले देश  में अग्यान पसरा हुआ है । हमारा युवा अपनी फेस वैल्यू बढ़ने पर ध्यान दे रहे है । वे आत्मविकास और आतारिक मूल्यों को भूल  है । सन्यासी जीवन जीते हुए भी स्वामीजी ने युवाओं को बताया की जीवन कैसे जिए । स्वामीजी ने कभी नहीं कहा की धन नहीं कमाना चाहिए कमान चाहिए परन्तु धर्म के आधार पर  । उन्होंने विश्व को एकात्मता का सूत्र दिया ।

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