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विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के तत्वावधान मे २८ जून से ०७ जलाई २०२५ तक श्री रामकृष्ण महासम्मेलन आश्रम नागदंडी काश्मीर मे योग शिक्षा शिबीर संपन्न हुआ. १४ प्रतिभागी शिबीर मे सम्मिलीत हुए जो तामिळनाडू, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आसाम, हरियाणा और जम्मू काश्मीर इत्यादी विभिन्न राज्यो से आयें.

परिचय सत्र २७ जून को सायंकाल मे भजन, संध्या और भोजन के पश्चात लिया गया जिसमे प्रतिभागीयोंको शिबीर के सामान्य दिशानिर्देश बतायें गये.

शिबीर का माध्यम हिंदी भाषा रहा शिबिरार्थीयों को ३ गणो मे विभाजित किया गया जिनका नाम ब्रह्मा, विष्णु, और महेश रखा गया.

इस १० दिवसीय शिबीर मे प्रातःस्मरण, योगाभ्यास, प्राणायाम, श्रमसंस्कार, बौद्धिक कक्षा,  मंथन, गीत अभ्यास और प्रेरणा से पुनरुत्थान इन सत्रो का समावेश रहा.

योग के प्रात्यक्षिक सत्रो मे शिबिरार्थीयो को शिथिलीकरण व्यायाम, सूर्यनमस्कार, एवं विभिन्न आसन सिखाये गये जो एक विशिष्ट पद्धती से किये जाते हैं. प्राणायाम के अभ्यास मे शिबिरार्थीयों को प्राणायाम के एक व्यवस्थित क्रम मे प्रशिक्षित किया गया जो की एक विशेष अनुक्रम मे  करने से अनुकूलतम लाभ पहुंचाता हैं.

बौद्धिक सत्रो मे योग की संकल्पना, राजयोग, ज्ञानयोग, भक्तीयोग, कर्मयोग, भगवद गीता, आनंद मीमांसा, और भारतीय संस्कृती इन विषयों का समावेश रहा.

साथ ही कश्मीर का इतिहास और वर्तमानए स्वामी विवेकानंद मा एकनाथजी एवं कथा शिलास्मारक की और केंद्र प्रार्थना इन विषयो पर भी सत्र हुए.

इन विषयो पे मंथन सत्र हुए जो प्रतिभागीयो की समझ बढाने मे सहाय्यक रहे और उन्हे अपने मन्तव्य को व्यक्त करने का अवसर देते रहे.

गीत अभ्यास के सत्रो मे शिबिरार्थीयो को विभिन्न पाठ सिखाये गये जिनमे शांतिमंत्र, ऐक्यमंत्र, प्रातःस्मरण प्रार्थना, भगवद गीता, कर्मयोग, श्लोकसंग्रह, और अन्य कुछ गीतो के साथ शिबीर गीत का समावेश रहा.

प्रतिभागींयों ने जलनेती, सूत्रनेती, और वमन धौती ये क्रियाये शिबीर के दौरान दो बार की.

दैनिक भजन संध्या के सत्र शिबिरार्थीयो के लिए भक्ती और भावनात्मक संवर्धन मे लाभदायक रहे.

शिबिरार्थीयो के नित्य आहार मे शुद्ध एवं सात्विक भोजन का समावेश रहा जो उनकी योगसाधना के लिए अनुकूल हो.

प्रेरणा से पुनरुत्थान के सत्रो मे शिबिरार्थीयो को विवेकानंद केंद्र की विभिन्न गतिविधिया और परियोजनाओ से परिचित कराया गया साथ ही प्रतिभागीयो ने विविध गीत तथा सांस्कृतिक प्रस्तुतीयों का भी आनंद उठाया एवं नियमित प्रश्नोत्तरी भी हुई.

श्रमसंस्कार के सत्र शिबिरार्थीयो मे सेवाभाव, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता को जगाने मे सहायक रहे.

सभी शिबिरार्थी ३ जुलाई को १ दिन कश्मीर दर्शन के लिये गये जिसमे अकिगम,  वेरिनाग, लोक भवन, गौतम नाग, बोमझुआ और मार्तंड मंदिर इन स्थानो के सभीने दर्शन किये.

इस तरह १० दिन का यह शिबीर एक अनुकूल और अध्यात्मिक वातावरण मे संतुलित अनुशासन एवं स्नेह के साथ संपन्न हुआ.

बहुत से प्रतिभागींयों ने उनके समय और ऊर्जा को केंद्र के गतिविधियों के द्वारा समाज की सेवा मे लगाने की इच्छा प्रदर्शित की है.

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