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स्वामी विवेकानन्द के शिकागो धर्मसम्मेलन में प्रथम उद्बोधन की वर्षगांठ पर विश्वबंधुत्व दिवस का अजमेर में आयोजन किया गया। विश्वबंधुत्व की संकल्पना को केवल चरित्र की उच्चता एवं त्यागवृत्ति के आचरण से ही साकार किया जा सकता है। भोगवाद से केवल विनाश ही हो सकता है तथा कट्टरता से संसार में बंधुत्व नहीं आ सकता। स्वामी विवेकानन्द ने जिस सत्यकालजयी संदेश का दर्शन पूज्य श्रीपाद शिला पर किया उसी दर्शन को विश्व के समक्ष 11 सितंबर 1893 में अमेरिका में शिकागो शहर में विश्व रिलीजन सम्मेलन में अपने मुखारविंद से अभिव्यक्त किया तथा यह घोषणा भी की कि यदि इस सत्य के दर्शन की उपेक्षा करके यदि विश्व में एकांतिक विचारधारा का सूत्रपात जारी रहेगा तो इस विश्व में विनाश की लीला को कोई नहीं रोक पाएगा और यह एक विडंबना ही है कि जिस 11 सितंबर 1893 को स्वामीजी ने उक्त विचारों को अमेरिका की धरती पर कहा था वही अमेरिका की धरती 11 सितंबर 2001 को ही आतंक की उस एकांतिक विचारधारा के परिणिति स्वरुप लहूलुहान हुई।  उक्त विचार प्रमुख शिक्षाविद्, चिंतक एवं लेखक हनुमानसिंह राठौड़ ने व्यक्त किए। वे विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर द्वारा आयोजित समर्थ भारत - विश्वबंधुत्व का आधार विषय पर मुख्य वक्ता के रूप  में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व में जिन दो विचारधाराओं में टकराव हो रहा है वह विचारधाराएं शूपर्णखा और पूतना का प्रतिरूप हैं जो केवल इस एक विचार को मानती हैं कि केवल यह ही, किंतु संपूर्ण विश्व में बंधुत्व का संदेश देने वाली एकमात्र विचारधारा हिन्दुत्व विचारधारा है जो यह मानती है कि यह भी। हिन्दू संस्कृति में नास्तिक माना जाने वाला चार्वाक दर्शन भी भौतिकतावादी तो हो सकता है किंतु आसुरीवृत्ति वाला नहीं हो सकता। यही हिन्दू दर्शन की विशेषता है जिसकी घोषणा स्वामी विवेकानन्द ने संपूर्ण विश्व के समक्ष की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि दर्शन चाहे जितना भी उच्च कोटि का क्यों न हो उस दर्शन को संपूर्ण विश्व में स्थापित करने के पीछे सामथ्र्य होना चाहिए जो कि आज की युवा पीढ़ी में है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने प्रत्येक दायित्व के पीछे राष्ट्रभाव का जागरण करें जिससे कि ऐसी सामथ्र्य का निर्माण हो सके जिससे कि भारत पुनः विश्वगुरू के पर पर आसीन हो सके।

इस अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया जिसमें विद्यालय स्तर की चलवैजन्ती डीएवी शताब्दी विद्यालय तथा महाविद्यालय स्तर की चलवैजंती महिला अभियांत्रिकी महाविद्यालय, अजमेर को प्रदान की गई। देशभक्तिगान प्रतियोगिता में बाल वर्ग में डीएवी शताब्दी विद्यालय तथा किशोर वर्ग में डी.बी.एन. अंग्रेजी माध्यम विद्यालय ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकीय महाविद्यालय, अजमेर के पूर्व उपप्राचार्य डाॅ. बी.के. भार्गव थे तथा अध्यक्षता डाॅ. बद्री प्रसाद पंचोली ने की। इस अवसर पर साहित्कार उमेश चैरसिया, नगर संचालक दिनेश अग्रवाल, नगर संगठक श्वेता भी उपस्थित रहीं।

इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत स्वामी विवेकानन्द की पुस्तकों एवं श्रीफल से किया गया। कार्यक्रम की संकलप्ना डाॅ0 स्वतन्त्र शर्मा ने रखी तथा केन्द्र परिचय नवनीत जैन ने किया। कार्यक्रम का संचालन नगरप्रमुख कुसुम गौतम द्वारा किया गया। 

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