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His Excellency Shri. Ram Nath Kovindji, Honourable President of India visited Vivekananda Rock Memorial and Vivekananda Kendra on 25th December and 26th December 2019. Tamil Nadu Governor Shri. Banwarilal Purohit, Tamil Nadu Adi Dravidar Welfare Minister V. M. Rajalakshmi and many dignitaries received him on 25th evening.

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भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में अर्जुन के सम्मुख जो ज्ञान की गंगा बहाई, वह वाणी श्रीमद्भगवद् गीता के रूप में सर्वत्र उपलब्ध है। यह गीता माँ ही है जो हमारा पोषण करती है, हमें ध्येयमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है, उस योग्य बनाती है। इसलिए आचार्य विनोबा भावे ने गीता को "माऊली" अर्थात् माता कहा है।

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समाज में समय-समय पर जो विकृतियां आ जाती है, उसके निवारण का उपाय आध्यात्म ही है। न्यायपालिका व कार्यपालिका की कार्य प्रणाली विज्ञान और आध्यात्म के सामांजस्य पर ही निर्भर करती है। कालान्तर में समाज में उत्पन्न विकृतियों के निवारण हेतु कानूनी उपायों के साथ साथ समाज में जीवन मूल्यों की पुनः प्रतिस्थापना भी आवश्यक है।

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नगर प्रमुख अखिल शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर गीता पर आधारित प्रश्नोत्तरी का संचालन महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के योग विभाग के डाॅ0 लारा शर्मा ने किया।

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भगवत गीता का पारायण युवावस्था से ही प्रारंभ होना चाहिए। गीता में जीवन जीने की कला भगवान श्रीकृष्ण ने बताई है, और यह हर व्यक्ति को अपने युवा काल में ही ज्ञात होनी चाहिए। भगवत गीता में आज के व्यक्तिगत और सामाजिक हर समस्या का समाधान है।

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२० अक्टूबर को भारत परिक्रमा पर निकले हुए श्री थंगाराजा जी का स्वागत लखनऊ में किया गया। अगले दिन २१ अक्टूबर को केन्द्र कार्यालय पर उनका ओजस्वी उद्बोधन हुआ जिसमें केन्द्र के कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया ने श्री थंगाराजा जी का इंटरव्यू लिया। तदुपरान्त ग्यारह बाइक एवं दो गाड़ियों की एक रैली केन्द्र कार्यालय से हज़रतगंज तक श्री थंगाराजा जी के साथ गई एवं उन्हें शुभकामनाओं सहित विदा किया।

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बचपन से जिन संस्कारों को मानव अपनी आदतों में ढाल लेता है वही संस्कार उसका स्वभाव बन जाते हैं। अच्छी आदतों को किशोरावस्था में ही अंगीकार कर लिया जाता है तो पूरा जीवन सफल और प्रभावी हो जाता है। जीवन में प्रोएक्टिव होना अर्थात पहल करना। जब हम अंतिम लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए कार्य करना सीखने लगते हैं तो  कार्य की समझ, दूसरों के दृष्टिकोण का अनुभव तथा समूह में मिलकर कार्य करने जैसे गुण स्वमेव ही विकसित होने लगते है।

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जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए प्रत्येक पल महत्वपूर्ण है। समय के पूर्ण नियोजन से ही सबकुछ प्राप्त हो सकता है। विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक एकनाथ रानडे के जीवन को देखते हुए जब हम नियोजन की बात करते हैं तो यह नियोजन इस रूप में हो कि जैसे हम कभी मरने वाले ही नहीं है किंतु जब इस पर क्रियान्वयन की बात आए तब ऐसा भाव हो कि हमारे पास केवल एक ही दिन है और वह है आज।

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