विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी शाखा भोपाल द्वारा गुरू पूर्णिमा उत्सव का आयोजन अ.भा.वि.प. के सभागार में किया गया ! इस आयोजन में “स्वामी विवेकानन्द और विश्व गुरू भारत” विषय पर व्याख्यान रखा गया था वक्ता के रूप मे रा.स्व.से.संघ के क्षेत्र प्रचारक माननीय रामदत्त जी चक्रधर का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ ! रामदत्त जी विषय का आरम्भ करते हुए बताया कि यदि आज हम भारत को विश्व गुरू के पद पर प्रतिष्ठित करने हेतु संकल्पित है तो निश्चित रूप से यह पूर्व में विश्व गुरू रहा है यह सिद्ध होता है इसलिए जिन कारणों से भारत की यह प्रतिष्ठा थी
भारत वर्ष स्वामी विवेकानंद की १५० वी जयंती मना रहे है। स्वामीजी की प्रसगिकता १५० वर्ष बाद भी रहेगी । उनके आदर्शों और आज के युवा को एक - दुसरे का विरोधी माना जाता है , लेकिन ऐसा नहीं है । स्वामीजी ने जीवन का ध्येय निश्चित करने के बाद कभी पलट कर नहीं देखा ।
नागपुर। स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती समारोह समिति की ओर से नागपुर महानगर के 8 स्थलों पर "संकल्प दिवस" मनाया गया। ज्ञात हो कि 25, 26 तथा 27 दिसम्बर 1892 में स्वामी विवेकानन्दजी ने कन्याकुमारी के समुद्र के मध्य स्थित श्रीपाद शिला पर बैठकर ध्यान किया था। स्वामी विवेकानन्दजी के इस राष्ट्रध्यान की स्मृति में इस दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाया गया। स्वामी विवेकानन्दजी की 150वीं जयंती पर अधिकाधिक नगरवासी दायित्व लेकर कार्य करें, इस दृष्टि से नागरिकों से भागश: सम्पर्क किया गया ; जिनमें विविध क्षेत्रों में कार्यरत व्यवसायियों, कर्मचारी, विद्यार्थी, शिक्षक तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं का समावेश था। सम्पर्कित नगरवासियों को नागपुर के विविध स्थानों पर आयोजित संकल्प दिन के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था।
As all of us aware 2013 is Swami Vivekananda's 150 Birth Anniversary Celebrations. Several organisations and institutions the world over will organise programmes as a befitting tribute to this great Patriot Saint of India who was intensely nationalistic and deeply universal. In a special effort initiated by Vivekananda Kendra Kanyakumari several individuals, organisations and institutions working at local, state, regional, national, international levels will come together to celebrate this historic event. The uniqueness of this effort by the Vivekananda Kendra is that it will be celebrated without any organisational banner.