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Vivekananda Kendra personality development camp at Nagpur5विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा नागपुर की ओर से नागपुर से 65 किमी पर स्थित स्वामी विवेकानन्द विद्यालय (देवालापार) सुरम्य परिसर में दिनांक 5 से 9 जून 2012  की अवधि में विद्यालयीन  छात्र-छात्राओं के लिये व्यक्तित्व विकास शिविर (निवासी) किया गया |  इसमें 70 शिविरार्थियों ने  भाग लिया। इस चार दिवसीय निवासी व्यक्तित्व विकास शिविर में बच्चों के बौद्धिक विकास के लिये भारत जागो-विश्व जगाओ, स्वामी विवेकानन्द की भारत भक्ति, ऐसे बनें हम भी, संस्कार वर्ग क्यों और कैसे ? इन विषयों पर श्री लखेशजी, सुश्री प्रियंवदाताई पांडे,  सौ. क्षमाताई दाभोड़कर, डॉ. श्री मोरेश्वरजी इन विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

मंथन में शिविरार्थियों ने  भारत का भारत से परिचय, हमारी भारतभक्ति, मैं नहीं हम आदि विषय पर शिविरार्थियों ने विमर्श किया। सृजन सत्र में शिविरार्थियों ने वारली पेंटिग और अभिनय कला सीखी। शिविरार्थियों के शारीरिक विकास हेतु योगाभ्यास, श्रमसंस्कार और  विविध प्रकार के खेल लिये गये। भावनात्मक और अध्यात्मिक विकास के लिये भजन संध्या, गीत सत्र ली गई जिसमें शिविरार्थियों नें अनेक भजन और देशभक्ति गीत भी सीखे। रात्रिकालीन सत्र में प्रेरणा से पुनरूत्थान के अंतर्गत शिविरार्थियों ने कृतिगीत सीखे, विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक श्री एकनाथजी रानडे के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का भी कहानी के माध्यम से शिविरार्थियों ने आनंद लिया | प्रेरणादायी विडियो क्लिपिंग के साथ ही हनुमान चालिसा का नियमित पठन का भी इसमें समावेश था |

Vivekananda Kendra personality development camp at Nagpurइस शिविर का समापन दिनांक  9 जून 2012 को शिवाजी नगर नागरिक मंडल हॉल, शिवाजी नगर, नागपुर में हुआ | शिविर के समापन में शिविरार्थियों ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।  शिविर की शुरूवात 3 ओमकार प्रार्थना से हुई । बच्चों ने अपने अनुभव कथन किया | संगठित होकर कार्य करना, अनुशासन, आज्ञापालन, राष्ट्रभक्ति, सृजनशीलता तथा संभाषण कला  के गुण शिविरार्थियों को सिखने को मिली। इस कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र के जीवनव्रती कार्यकर्ता तथा महाराष्ट्र प्रान्त संगठक श्री विश्वासजी लापलकर ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि इस शिविर के माध्यम से बच्चों को अनेक अच्छी आदतें लगी है और उन आदतों का संवर्धन करना तथा समाज सेवा  के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है | बच्चों को अपने कार्य स्वयं करने दें । वे अपने जीवन में आदर्श का पालन करेंगे तो यह समाज भी आदर्श बनेगा। स्वामीजी के संदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति इस समाज का अभिन्न अंग है और उसमें अनेक क्षमताएँ होती हैं, वह अपने आप में अद्वितीय  है। उन्होनें कहा कि हमारा समाज सोया हुआ है और स्वामी विवेकानन्दजी के विचारों को घर-घर पहुँचाकर इस समाज को हमें जगाना है तभी भारत विश्वगुरू के पद को प्राप्त कर पाएगा। स्वामी विवेकानन्द की १५० जयंती अर्थात  सार्ध शती समारोह 2013-2014  में विश्वभर बड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी | इसी अवसर पर उपस्थितों को आह्वान किया कि वे समय का दान देकर या आर्थिक सहायता प्रदान कर इस राष्ट्रयज्ञ में अपनी  भूमिका निभाएं | इस कार्यक्रम में 225 लोग उपस्थित थे।

 

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