स्व को राष्ट्र सेवा में अर्पित कर देने से ही जीवन की सार्थकता बनेगी व इस भाव से कार्य करना ही सद्गुण हैI उक्त उद्गार विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के राष्ट्रीय महासचिव श्री भानुदास जी ने धार शाखा द्वारा आयोजित समिधा वर्ग (दिनांक 12/11/2015) में व्यक्त कियेI कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा की राष्ट्र सेवा का कार्य परम पुनित कार्य हैI तथा जो इस पथ पर चलता है सफलता स्वत: ही उसके कदम चूमती हैI उन्होंने स्वामी जी एवं एकनाथ जी के चरित्र से सीखने का आव्हान करते हुए उपस्थित कार्यकर्ताओ को राष्ट्र सेवा के यज्ञ में स्वयं को समिधा बनाकर समर्पित करने की प्रेरणा भी समझ
विवेकानंद केंद्र के संस्थापक मा. एकनाथजी रानडे इनका १०० वा जन्म दिवस १९ नवम्बर २०१४ से चल रहा है, इस पर्व को केंद्र मा. एकनाथजी जन्म शती पर्व के नाम से मना रहा है। अतः इस अवसर पर विवेकानंद केंद्र राजेंद्र नगर विस्तार में परिपोषक सम्मलेन का आयोजन किया गया। सम्मलेन में मुख्य रूप से विवेकानंद केंद्र के माननिय प्रान्त प्रमुख श्री भवरसिंह राजपूत व माननिय प्रान्त संचालक श्री मनोहर देव उपस्थित थे। श्री राजपूत जी ने मुख्य उद्बोधन में परिपोषक योजना की संकल्पना को स्पष्ट करते हुए बताया की भारत यह राष्ट्र के रूप में खड़ा होना है अतः उसके लिए मा.
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विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा इंदौर की और से मा. एकनाथजी जन्म शती पर्व के अंतर्गत सफल युवा युवा भारत अभियान का युवा सेवा प्रशिक्षण शिविर दिनांक ९ अप्रैल से १२ अप्रैल २०१५ को इन्दौरे नगर में मानव सेवा ट्रस्ट में आयोजित किया गया। शिविर में चिंतन युवा सेवा के विषयों को लेकर किया गया।
शिविर में मा. एकनाथजी के गुणों को लेकर गण के नाम दिए गए थे – १. दृढ़ता, २. सातत्य, ३. निष्ठा, ४. संगठन।